कार्ड भुगतान पारिस्थितिक तंत्र को उसके पूरे वैल्यू-चेन में शामिल विभिन्न पक्षों की सुरक्षा की दृष्टिकोण से डिज़ाइन किया गया है। मैं अपने “डिजिटल भुगतान” (पेमेंट) सीरीज में इस लेख को इन सुरक्षा उपायों के ऊपर केंद्रित करना चाहूंगा ताकि उपभोक्ता इसकी जानकारी रख सकें। कार्ड भुगतान से सम्बंधित हर इकाई, सिस्टम और प्रक्रिया को भुगतान कार्ड उद्योग (पीसीआई-डीएसएस) द्वारा स्थापित डेटा सुरक्षा मानकों का पालन करना होता है; ताकि सभी संवेदनशील जानकारियाँ किसी भी समय सुरक्षित रह सकें।
~ कार्ड जारीकर्ता द्वारा नियंत्रण ~
कार्ड प्रिंटिंग: कार्ड जारी करने के समय ‘कार्ड प्रिंटिंग फ़ाइल’ बनाई जाती है, जिसे ‘एन्क्रिप्टेड’ प्रारूप में प्रिंटिंग इकाई में ले जाया जाता है। कार्ड प्रिंटिंग पूरी होने के बाद इसे नष्ट कर दिया जाता है। मैं इस तरह की एक प्रिंटिंग इकाई में गया और मैंने उसके सुरक्षा मानकों का स्वतः अनुभव किया है। डेटा सुरक्षा के साथ वे शारीरिक सुरक्षा पर भी सख्त नियंत्रण रखते हैं। वहां आगंतुकों को कई बंद दरवाजों के माध्यम से ले जाया जाता है और उन्हें जेब वाले कपड़े पहनने की भी अनुमति नहीं होती है।
चिप (ई.एम्.वी. कार्ड): पहले कार्ड द्वारा लेनदेन में चुंबकीय पट्टी का उपयोग किया जाता था। चुंबकीय पट्टी के साथ समस्या यह थी कि इसमें संग्रहीत जानकारी स्पष्ट रूप में संग्रहीत की जाती थी और कार्ड रीडर पर कार्ड स्वाइप करके धोखेबाजों द्वारा चोरी की जा सकती थी। कार्ड की जानकारी चुराने की इस प्रक्रिया को “स्कीमिंग” कहा जाता है। इससे उपभोक्ताओं की सुरक्षा हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक ने अब ई.एम्.वी यानि चिप वाले कार्ड का प्रयोग अनिवार्य कर दिया है। ई.एम्.वी कार्ड का लाभ यह है कि इसके चिप में संग्रहीत सभी जानकारी एन्क्रिप्टेड रूप में होती है।
पिन प्रिंटिंग: आपके कार्ड का पिन कहीं भी किसी भी सिस्टम में संग्रहीत नहीं है। पिन जारी करने के समय पिन ब्लॉक एक जटिल तर्क और एन्क्रिप्शन का उपयोग करके उत्पन्न होता है और सीधे पिन-प्रिंटर को निर्देशित किया जाता है। पिन को सील रूप में ही मुद्रित किया जाता है, और केवल पिन मेलर को फाड़कर ही देखा जा सकता है। इससे पिन की सूचना उपभोक्ताओं को पूर्णतः सुरक्षित रूप से पहुँचाई जाती है। इस प्रक्रिया में सावधानी का स्तर यह है कि कार्ड और पिन दोनों अलग-अलग स्थानों पर मुद्रित किए जाते हैं (उदाहरण के लिए एच.डी.एफ.सी. बैंक के कार्ड चेन्नई में मुद्रित किए जाते हैं, जबकि पिन प्रिंटिंग आमतौर पर मुंबई में होती है)। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि कार्ड और पिन उपभोक्ता के पास पहुंचने से पहले कभी भी एक साथ नहीं होते हैं। इसके अलावा, कार्ड सिर्फ उपभोक्ता के पते पर ही भेजे जाते हैं। डिलीवरी-मैन आमतौर पर आपको कार्ड किट सौंपने से पहले ‘आईडी प्रूफ’ भी मांगता है।
पिन सत्यापन: लेन-देन के समय पिन को कुंजी पैड (की-पैड) पर एन्क्रिप्ट किया जाता है और एक एन्क्रिप्टेड पिन ब्लॉक उत्पन्न होता है। पिन एन्क्रिप्टेड प्रारूप में प्रमाणीकरण के लिए जारीकर्ता के पास पहुँचता है। पिन ब्लॉक जारीकर्ता सिस्टम में बैक के पास उपलब्ध सूचना का उपयोग करके उत्पन्न होता है। दोनों पिन ब्लॉक की तुलना की जाती है और यदि मिलान हुआ तो पिन प्रमाणीकरण सफल होता है।
सीवीवी या सीवीसी: यह आपके कार्ड से जुड़ा तीन अंकों का कोड है और इसी सीवीवी2/सीवीसी2 कोड का एक प्रारूप आपके कार्ड के पीछे छपा रहता है । यह तीन अंकों का कोड केवल कार्ड प्लास्टिक पर उपलब्ध है और सीवीवी/सीवीसी या सीवीवी 2/सीवीसी2 (सीएनपी लेनदेन के लिए) की उपस्थिति का मतलब है कि विवरण प्रदान करने वाला व्यक्ति कार्ड प्लास्टिक का धारक है।
यह बहुत महत्वपूर्ण है कि लेनदेन के समय कार्ड-विवरण कैप्चर पेज को छोड़कर किसी भी व्यक्ति के साथ पिन और सीवीवी की जानकारी साझा नहीं करनी चाहिए।
२ कारक प्रमाणीकरण (2 फैक्टर ऑथेंटिकेशन): आरबीआई के जनादेश के अनुसार भारत में सभी कार्ड ट्रांजैक्शन को ऑथेंटिकेशन के 2 कारकों के साथ प्रोसेस किया जाता है। आमतौर पर ये दो कारक नीचे दिए तीन कारकों में से किसी दो का संयोजन हैं:
१. आपके पास क्या है? कार्ड की दुनिया में यह आमतौर पर आपका कार्ड-प्लास्टिक होता है या यदि आप अपने पंजीकृत मोबाइल डिवाइस के माध्यम से लेनदेन कर रहे हैं, तो यह आपका मोबाइल डिवाइस हो सकता है।
२. आप क्या जानते हैं? आपके पिन या पासवर्ड इस श्रेणी में आते हैं। यह एक गुप्त जानकारी है जिसे केवल आप और आपके कार्ड जारीकर्ता जानते हैं और मान्य कर सकते हैं।
३. आप कौन हैं? प्रमाणीकरण के सभी बायोमेट्रिक रूप इस श्रेणी में आ जाएंगे। सबसे आम बॉयोमीट्रिक आपका फिंगर प्रिंट है। भविष्य में हम आँख की पुतली, आवाज, व्यवहार, चेहरा आदि को भी प्रमाणीकरण के लिए इस्तेमाल किया जाना देख सकते हैं ।
वर्तमान में कार्ड लेनदेन के मामले में ये दो कारक आपके कार्ड प्लास्टिक और पिन हैं, जबकि कार्ड के बगैर लेनदेन के मामले में यह आपके कार्ड विवरण (कार्ड संख्या, समाप्ति की तारीख और सीवीवी2/सीवीसी2) और ओटीपी या पासवर्ड हैं।
~ मर्चेंट द्वारा नियंत्रण ~
पीओएस टर्मिनल: पीओएस डिवाइस के निम्नलिखित घटक होते हैं: (१) कार्ड रीडर (२) कुंजी पैड (की-पैड), (३) नेटवर्क कनेक्टिविटी, (४ ) मेमोरी स्टोरेज और (५ ) रसीद प्रिंटर। कार्ड रीडर और की-पैड डेटा प्रवेश के समय ही उसे एन्क्रिप्ट कर देते हैं। मेमोरी में इस जानकारी को एन्क्रिप्टेड रूप में संग्रहीत किया जाता है और जैसे ही व्यापारी निपटान की प्रक्रिया करता है, डेटा मेमोरी से हटा दिया जाता है। इस नेटवर्क पर संचार एक संरक्षित लाइन के माध्यम से एन्क्रिप्टेड प्रारूप में होता है। रसीद प्रिंट करते समय आपके कार्ड नंबर जैसी संवेदनशील जानकारी को मास्क किया जाता है।
कार्ड लेनदेन के लिए उपयोग किए जाने वाले एन्क्रिप्शन तर्क को ‘ट्रिपल-डीईएस’ या ‘3डीईएस’ कहा जाता है; जो अभी प्रयोग में आ रहे सबसे उन्नत डेटा एन्क्रिप्शन मानक में से एक है। प्रत्येक टर्मिनल के लिए यूनिक एन्क्रिप्शन का उपयोग किया जाता है, और डायनामिक अपडेट किया जाता है ताकि किसी भी संभावित खतरे से ‘की-लेवल’ पर ही निपटा जा सके।
वॉइड और वापसी
वॉइड और वापसी का उपयोग व्यापारी द्वारा किसी लेनदेन को पूर्ववत (‘अनडू’) करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि व्यापारी ने आपके कार्ड को गलत राशि के लिए स्वाइप किया है या आपने भुगतान करने के तुरंत बाद लेनदेन के बारे में अपना मन बदल लिया है, व्यापारी टर्मिनल मेमोरी से उस लेनदेन को रिकॉल करके रद्द कर सकता है। इस प्रक्रिया को वॉइड कहा जाता है और इस मामले में जब व्यापारी निपटान प्रक्रिया करते हैं तो यह लेनदेन वहाँ से छोड़ दिया जाता है यानि आगे प्रोसेस नहीं किया जाता है। जारीकर्ता किसी भी दावे की अनुपस्थिति में तय निपटान समय सीमा समाप्त होने के बाद ग्राहक के खाते में लेनदेन को स्वचालित रूप से उलट देता है।
यदि व्यापारी ने मशीन पर निपटान प्रोसेस कर दिया है और डिवाइस से लेनदेन हटा दिया गया है, तो इसे रद्द/शून्य नहीं किया जा सकता है। इस मामले में व्यापारी रिफंड प्रोसेस करता है, यानी व्यापारी खाते को डेबिट करके ग्राहक खाते को क्रेडिट करने के लिए निर्देश भेजता है। जब व्यापारी इस लेनदेन को व्यवस्थित करता है तो इंटरचेंज के माध्यम से अधिग्रहण कर्ता द्वारा जारीकर्ता को उचित क्रेडिट निर्देश दिया जाता है। इन दिनों इंटरचेंज ‘इंस्टेंट’ रिफंड प्रोसेस करने के तरीके लेकर आए हैं ।
चार्जबैक
जैसा कि अब आप जानते हैं कि कार्ड जारी करने और लेनदेन प्रसंस्करण के समय सुरक्षित लेनदेन सुनिश्चित करने के लिए कई नियंत्रण हैं। ‘चार्जबैक’ लेनदेन के बाद ग्राहक के हितों की रक्षा करने की एक प्रक्रिया है। चार्जबैक प्रक्रिया के तहत यदि डुप्लीकेट बिलिंग, प्रदान नहीं की गई सेवाओं, वितरित नहीं किए गए सामान आदि जैसे लेन-देन के साथ कोई प्रॉब्लम है, तो उपभोक्ता अपने दावे का समर्थन करने वाले सभी साक्ष्यों के साथ अपने जारीकर्ता तक विवाद पहुँचा सकता है। ऐसे मामलों में जारीकर्ता इंटरचेंज के जरिए अधिग्रहणकर्ता के माध्यम से व्यापारी से संपर्क करते हैं और व्यापारी को आवश्यक सबूत प्रदान करने या विवाद को स्वीकार करने और लेनदेन को रिवर्स करने के लिए कहते हैं। व्यापारी डिलीवरी पुष्टि, भुगतान रसीद आदि के रूप में सबूत प्रदान कर सकता है। यदि व्यापारी यह साबित करने में असमर्थ है कि यह एक वास्तविक शुल्क था, तो मामला ग्राहक के पक्ष में बंद कर दिया जाता है और लेनदेन उलट जाता है। यदि व्यापारी यह साबित करने में सक्षम है कि शुल्क वास्तविक था, तो विवाद व्यापारी के पक्ष में बंद किया जाता है।
शून्य देयता
यदि आप अपने कार्ड के साथ भेजी गई सभी अध्ययन सामग्री को पढ़ते हैं, तो कई मामलों में आपको ‘शून्य देयता’ (जीरो लायबिलिटी) के रूप में लेबल किया गया अनुभाग मिलेगा। शून्य देयता स्टोर में की गई आपकी खरीद, या टेलीफोन, ऑनलाइन या मोबाइल और एटीएम लेनदेन के माध्यम की गई आपकी खरीद पर लागू होती है। कार्डधारक के रूप में, आपको अनधिकृत लेनदेन के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा यदि:
१. आपने अपने कार्ड को चोरी या खोने से बचाने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय किये हैं
२. आपने तुरंत अपने वित्तीय संस्थान को नुकसान या चोरी की सूचना दी है
यदि आपको लगता है कि आपके खाते का अनधिकृत उपयोग किया गया है और आप ऊपर की शर्तों को पूरा करते हैं, तो यह जानकर चिंतामुक्त रहें करें कि आपके पास शून्य देयता वादे की सुरक्षा है। कृपया इस खंड को अपने कार्ड किट में ध्यान से पढ़ें और सुनिश्चित करें कि आप इसे समझ लें।
हॉटलिस्टिंग
कृपया अपने कार्ड के नुकसान या अपने कार्ड पर किसी भी संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट करने के लिए उपलब्ध सबसे तेज़ माध्यम से अपने बैंक से संपर्क करें। हर कार्ड जारीकर्ता यह सुनिश्चित करता है कि टेलीफोन कॉल के माध्यम से इसकी रिपोर्ट करने के तरीके उपलब्ध रहें; जैसे एक समर्पित फोन नंबर (कृपया इस नंबर को अपने साथ रखें), मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग आदि।
एक संदिग्ध गतिविधि का क्या मतलब हो सकता है? इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:
१. आपका अपने खाते में किसी ऐसी गतिविधि के बारे में एसएमएस/ई-मेल प्राप्त करना जिसके बारे में आपको जानकारी नहीं है
२. एक एसएमएस/ई-मेल प्राप्त करना जो आपको उस लेनदेन के लिए उत्पन्न ओटीपी के बारे में सूचित करता है जिसे आपने शुरू नहीं किया था
३. कोई व्यक्ति आपको फोन करके आपके कार्ड के बारे में संवेदनशील जानकारी जैसे कार्ड नंबर, सीवीवी, पिन, ओटीपी आदि के बारे में पूछताछ करता है। कोई भी बैंक कभी भी किसी व्यक्ति को फोन कॉल पर साझा करने के लिए यह जानकारी नहीं पूछता है।
आशा है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी रही है और आप अगली बार खरीदारी के समय भुगतान के लिए अपने कार्ड का उपयोग करने के बारे में अधिक आश्वस्त हैं। अगले भाग में कार्ड की दुनिया में हो रही धोखाधड़ी के विभिन्न प्रकारों और अपने आप को उनसे बचाने के तरीकों को कवर किया जाएगा।
इस लेख का हिंदी अनुवाद मेरे ट्विटर मित्र राहुल तिवारी ने किया है। आप लोग उनको ट्विटर पे @In_Blogger फॉलो कर सकते हैं।