जब आप अपने डेबिट, क्रेडिट या फिर प्रीपेड कार्ड का इश्तेमाल करते हैं तो कई कंपनियां इस पूरे चक्र में मिलकर काम करती हैं। पहले तो आपको कार्ड देने वाली बैंक जिसे इस्सुअर बैंक, दुकानदार के यहाँ कार्ड चलाने का मशीन या QR कोड देने वाला बैंक जिसे एक्विरिंग बैंक और इन दोनों बैंकों के बीच लेन देन को करवाने वाली कंपनी जिसे इंटरचेंज कहते हैं। हमारे देश में ज्यादातर पेमेंट वीसा, मास्टरकार्ड या रुपे इंटरचेंज के द्वारा किये जाते हैं। इनका लोगो आपको दुकानों में, वेबसाइट के पे पेज पर और आपके कार्ड पर देखने को मिलेगा। जब आपके कार्ड का इंटरचेंज लोगो दुकान पे लगा हो इसका मतलब वहाँ आपका कार्ड चलेगा। अगर आपके कार्ड का इंटरचेंज लोगो दुकान या एटीएम पे नहीं है तो आपका कार्ड वहाँ नहीं चलेगा।
आज के इस निबंध से मेरा उद्देश्य है आप सबको कार्ड के इस्तेमाल से जुड़े हुए कुछ प्रचलित शब्दों से आप लोगों को अवगत कराना जिससे आपको सारी प्रक्रिया समझने में आसानी हो और आप इस सुविधा का सोच समझकर बिना किसी हिचकिचाहट के प्रयोग कर सकें और इससे जुड़े हुए कई लाभ उठा सकें।
डेबिट कार्ड: आपका डेबिट कार्ड आपके बैंक द्वारा आपको दिया गया प्लास्टिक है जिससे आपका बैंक एकाउंट जुड़ा होता है। एक डेबिट कार्ड हमेशा किसी बचत या चालू खाते से जुड़ा होता है और केवल आपका बैंक ही इसे आपको जारी कर सकता है। कार्ड के ऊपर आपका कार्ड नंबर, एक्सपायरी डेट और आपके नाम के अलावा आपके बैंक और इंटरचेंज के लोगो छापे जाते हैं। कार्ड के पीछे कुछ अत्यावश्यक जानकारी जैसे की बैंक का कस्टमर केअर नंबर के अलावा एक सफेद पट्टी होती है जिसपे आप को अपना हस्ताक्षर करना होता है और उसी पट्टी के पास एक तीन अंकों की संख्या होती है जिसे सीवीवी या सीवीसी नंबर भी कहते हैं।
क्रेडिट कार्ड: एक क्रेडिट कार्ड आपके बैंक द्वारा इशू किया गया वो प्लास्टिक है जो आपके उधार खाते से जुड़ा होता है। इस कार्ड पे किये गए सारे पेमेंट का हिसाब आपको आपके बैंक के साथ महीने में एक बार करना पड़ता है। हर महीने की एक निर्धारित तिथि को बैंक आपको पूरे महीने का हिसाब एक स्टेटमेंट के रूप में आपको भेजती है और आप बैंक को निर्धारित तिथि के पहले पूरा पैसा चुका देते हैं। पैसा निर्धारित तिथि तक नहीं चुकाने की सूरत में बैंक आप पर पेनल्टी और इंटरेस्ट लगा देता है। इसलिए मेरी सलाह यही है की हर महीने पूरा भुगतान करें। क्रेडिट कार्ड देखने में आपके डेबिट कार्ड के जैसा ही दिखता है और उस पर वही सारी जानकारी छपी होती है जो एक डेबिट कार्ड में। हमारे देश में एक बैंक ही क्रेडिट कार्ड जारी कर सकता है।
प्रीपेड कार्ड: यह प्लास्टिक भी देखने में आपके क्रेडिट और डेबिट कार्ड की तरह ही दिखता है। एक प्रीपेड कार्ड आपके बचत, चालू या उधार खाते से नहीं जुड़ा होता। इस कार्ड में आपको पहले पैसा लोड करना पड़ता है उसके बाद ही आप इसको कहीं इस्तेमाल कर सकते हैं। एक बैंक के अलावा दूसरे कंपनियों को भी आरबीआई प्रीपेड कार्ड जारी करने की अनुमति देता है। ऐसी कंपनियों को पीपीआई या प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट इस्सुर भी कहते हैं। मोबाइल वॉलेट, Sodexo मील कार्ड, ट्रैवेल कार्ड, FASTag वगैरह प्रीपेड कार्ड के अलग अलग उदाहरण हैं।
इस्सुअर: जिस बैंक या पीपीआई ने आपको कार्ड जारी किया है उसे इस्सुअर कहते हैं। इस्सुअर का काम लेन-देन के समय कार्ड और कस्टमर की वैधता स्थापित करना जिसे ऑथेंटिकेशन और आपके खाते में पैसे की उपलब्धता बताना जिसे ऑथोरिजशन कहते हैं।
एक्वायरर: जो बैंक दुकानदार के यहाँ लगी मशीन के लिए और उसके खाते में लेन देन के लिए जिम्मेदार होती है उसे एक्विरिंग बैंक कहते हैं। कार्ड मशीन या फिर QR कोड पर बने हुए लोगो को देख कर आप पता कर सकते हैं की किसी दुकानदार का एक्विरिंग बैंक कौन सा है। HDFC Bank, ICICI Bank, SBI, Axis Bank इत्यादी बड़े अस्क्विरिंग बैंक हैं।
इंटरचेंज: इंटरचेंज का काम इस्सुर और एक्वायरर बैंकों के बीच लेन-देन सुनिश्चित करने का होता है। कार्ड के इश्तेमाल के दौरान दोनों बैंकों के बीच में कनेक्टिविटी और बाद में पैसे का लेन-देन इंटरचेंज की जिम्मेदारी होती है। वीसा, मास्टरकार्ड और रूपे भारत में तीन इंटरचेंज हैं। एक इंटरचेंज के बिना आपके बैंक का कार्ड किसी और बैंक की मशीन में नहीं चलेगा।
पॉस मशीन (PoS): दुकानदार के पास जिस मशीन में आप अपना कार्ड डालते हैं उस मशीन को पॉस कहते हैं। दुकानदार को यह मशीन अस्क्विरिंग बैंक दिलाता है और इस मशीन से हुए सारे पेमेंट्स को दुकानदार के खाते से जोड़ता है। पॉस मशीन में एक डिसप्ले, की पैड, प्रिंटर और नेटवर्क से कनेक्ट करने के लिए सुविधा होती है।